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अगर आप एक फ़्रीलांसर हैं और जानना चाहते हैं कि आप अपना ITR कैसे फ़ाइल कर सकते हैं, तो आप सही जगह पर हैं। हमने फ़्रीलांसर के ITR फ़ाइल करने की विस्तृत गाइड तैयार की है।
क्या आप एक फ़्रीलांसर हैं? क्या आप रोज़ाना 9 से 5 काम करके वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी की तरह काम नहीं करते हैं? लेकिन आपकी आय आयकर छूट के स्तर से ज़्यादा है?
आपको इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना चाहिए। आयकर कानून के अनुसार, दूसरे वेतन प्राप्त या कॉर्पोरेट टैक्स दाताओं की तरह ही, फ़्रीलांसर को भी अपनी आय पर टैक्स भरना चाहिए।
Jar के साथ हम यहां पर आसानी से समय पर टैक्स भरने की प्रक्रिया पूरी करने में आपकी मदद के लिए हैं।
फ़्रीलांसर सेल्फ़-इम्पलॉयड लोग होते हैं जो अलग-अलग क्लाइंट के कई तरह के प्रोजेक्ट पर काम करते हैं। यह अपनी सुविधा से घर, पार्क या कैफ़े में बैठकर काम करते हैं।
मार्केटिंग कंसल्टेंट, वेबसाइट डिज़ाइनर, कंसल्टेंसी, सॉफ़्टवेयर डिज़ाइनर, सोशल मीडिया मैनेजर, और कंटेंट राइटर- यह कुछ क्षेत्र हैं जिनमें फ़्रीलांसर काम करते हैं। यह फ़्रीलांसर क्लाइंट को मैन्युअल या इंटलेक्चुअल सेवाएं देकर पैसे कमाते हैं।
हालांकि, यह सुविधा मुफ़्त में नहीं मिलती। किसी भी दूसरे व्यापारी या वेतन प्राप्त कर्मचारी की तरह, फ़्रीलांसर को भी आयकर अधिनियम के तहत अपनी आय पर सरकार को टैक्स अदा करना होता है।
एक फ़्रीलांसर के तौर पर, ITR जमा करना थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि आपके पास जाना माना फ़ॉर्म 16 प्रदान करने और ITR फ़ाइल करने में मदद के लिए HR विभाग नहीं होता है।
इसके अलावा, ज्यादा क्लाइंट होने और आय और व्यय की कीमतों में फ़र्क के चलते इसमें ज्यादा कैलकुलेशन और रिकॉर्ड बनाने की ज़रूरत पड़ती है।
एक फ़्रीलांसर के तौर पर, आपको ITR फ़ाइल करने के उन्हीं मूल सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जैसा कि आप किसी दूसरे पेशे या फ़र्म के लिए करते हैं- आय और व्यय।
आपके पास भुगतान के कई तरीके हो सकते हैं, जैसे प्रोजेक्ट आधारित भुगतान, मासिक रीटेनर वगैरह। आयकर अधिनियम के सेक्शन 44 AA के तहत, आपको सभी करों और व्यय के रिकॉर्ड के लिए अकाउंटिंग बुक तैयार करनी चाहिए।
ऐसा करने के लिए अकाउंटिंग के एक्चुअल बेसिस या कैश बेसिस में से कोई चुनें।
भारत में, फ़्रीलांसर को आयकर और GST (गुड्स और सर्विस टैक्स) देना होता है। अगर किसी फ़्रीलांसर का वार्षिक टर्नओवर INR 20 लाख (उत्तर पश्चिम और पहाड़ी राज्यों में INR 10 लाख) से ज्यादा होता है, तो उन्हें GST के लिए रजिस्टर करना चाहिए।
ज्यादातर सेवाओं के लिए GST 18% है, लेकिन यह फ़्रीलांसर के गुड्स और सर्विस के आधार पर बदल सकता है।
फ़्रीलांसर को मौजूदा दरों पर आयकर देना चाहिए। 60 साल से कम उम्र के फ़्रीलांसर पर लागू होने वाली आयकर दरें नीचे दी गई हैं:
पुराने टैक्स नियम के अनुसार :
नए टैक्स नियम के अनुसार :
आयकर रिटर्न फ़ाइल करते समय, एक फ़्रीलांसर फ़ॉर्म ITR4 का इस्तेमाल कर सकता है। अगर आपकी आय INR 1 करोड़ से ज्यादा होती है, तो आपकी अकाउंट बुक को ऑडिट किया जाएगा।
अगर आपकी वार्षिक आय INR 1 करोड़ से कम है, तो ऑडिट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अगर फ़्रीलांसर टैक्स जमा करने का प्रीज़म्टिव तरीका चुनते हैं, तो ITR फ़ॉर्म 4S का इस्तेमाल करना चाहिए।
फ़्रीलांसर के लिए आयकर रिटर्न फ़ाइल करने के आसान स्टेप :
स्टेप 1 : आयकर के ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर जाएं।
स्टेप 2 : 'डाउनलोड' पेज पर ITR-4 डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है।
स्टेप 3 : अपनी सभी जानकारियां ITR-4 में भरें।
सामान्य जानकारी, ग्रॉस टोटल इनकम, डिडक्शन, और टैक्सेबल टोटल इनकम, व्यापार की जानकारी और प्रोफ़ेशनल इनकम, TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स), और एडवांस टैक्स और सेल्फ़ असेसमेंट टैक्स की जानकारी भरें।
स्टेप 4 : अपना टैक्स कैलकुलेट करने के लिए फ़ॉर्म 26AS का इस्तेमाल करें।
टैक्स पर पैसे बचाने के लिए, आप कई तरह के सेक्शन में टैक्स डिडक्शन और एग्ज़म्पशन के लिए क्लेम कर सकते हैं। टैक्स वर्ष के दौरान किए गए फ़्रीलांस काम पर पूरी तरह से किए जाने वाले व्यय, जैसे संपत्ति का किराया, रिपेयर शुल्क, यात्रा का शुल्क, कंपनी की संपत्ति पर तमाम टैक्स, और डोमेन रजिस्ट्रेशन व्यय को भी क्लेम किया जा सकता है।
ग्रॉस रिसिप्ट को सूचिबद्ध किया जाना चाहिए : फ़्रीलांसर को वित्तीय वर्ष के दौरान फ़्रीलांस काम की सभी रिसिप्ट का ट्रैक तैयार रखना चाहिए।
व्यय का क्लेम : व्यय का क्लेम करने के दौरान, फ़्रीलांसर को इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
फ़्रीलांस काम के परिणामस्वरूप हुई लागत का वहन किया जाता है।
लागत वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च की जाती है, उदाहरण के तौर पर, FY 2020-21 में AY 2021-22 के लिए।
व्यय निजी नहीं होते हैं, और न ही पूंजीगत व्यय होते हैं।
किसी भी कारण से लागत नहीं ली जाती है। यह अपराध है और कानूनी रूप से इस पर रोक है।
अगर भुगतान कैश में हुआ है, तो प्रतिदिन INR 10,000 से ज्यादा के व्यय को डिडक्शन में नहीं गिना जाएगा।
व्यय को पूंजीगत व्यय के रूप में क्लेम करने का कोई तरीका नहीं है। जैसे लैपटॉप, फ़र्नीचर वगैरह खरीदना।
हो सकता है कि आपने क्लाइंट को फ़्रीलांस सेवाएं देने की अपनी खोज में कई खर्च किए हों। जैसे इंटरनेट शुल्क, किराया, यात्रा का खर्च, हॉस्पिटैलिटी और मनोरंजन पर खर्च, डेप्रिसिएशन, मेंटिनेंस, सबस्क्रिपशन शुल्क, ऑफ़िस के फ़र्नीचर का खर्च और अन्य यूटिलिटी बिल वगैरह।
आपने अपने फ़्रीलांस इम्पलॉयमेंट में आपको मदद करने वालों को भी सूची में शामिल किया हो। व्यय गिनने के दौरान इस पर भी ध्यान दिया जाता है।
किसी दिए गए निर्धारण वर्ष में, आपकी ग्रॉस आय में फ्रीलांस आय बनाने वाले इन सभी व्यय को सीधे घटाना चाहिए।
अगर आप आमदनी के लिए किसी संपत्ति को किराए पर लेते हैं, तो उसका किराया घटाया जा सकता है।
अगर किराए की संपत्ति को रिपेयर करते हैं, तो उस पर होने वाले व्यय को घटाया जा सकता है।
अगर आप व्यावसायिक संपत्ति के मालिक हैं और रिपेयर करते हैं, तो उन व्यय को भी घटाया जा सकता है।
आपके लैपटॉप, प्रिंटर, और अन्य उपकरणों के रिपेयर में होने वाले खर्च भी घटाए जा सकते हैं।
काम के दौरान होने वाले खर्च जैसे, प्रिंटर, ऑफ़िस सप्लाई खरीदना, फ़ोन के मासिक बिल, इंटरनेट बिल और ट्रांसपोर्ट पर होने वाले खर्च को भी घटाया जा सकता है।
भारत के अंदर या बाहर क्लाइंट से मिलने के लिए यात्रा पर होने वाले व्यय को भी घटाया जा सकता है।
भोजन, मनोरंजन और हॉस्पिटैलिटी पर होने वाला व्यय।
अगर आप क्लाइंट के साथ मीटिंग करते हैं, क्लाइंट को भोजन कराने ले जाते हैं या नए व्यापार या मौजूदा व्यापार को बढ़ाने के लिए बाहर जाते हैं, तो उन व्यय पर भी क्लेम किया जा सकता है।
आपके क्षेत्र में आपकी खुद की कंपनी संपत्ति पर लगने वाले टैक्स और इंश्योरेंस।
डोमेन के रजिस्ट्रेशन और आपके उत्पाद को टेस्ट करने के लिए खरीदे जाने वाले सॉफ़्टवेयर की कीमतों को भी घटाया जा सकता है।
उन ग्राहकों के लिए अपने भुगतान में से 10% टैक्स घटाएं जिनके लिए आप सोर्स से टैक्स डिडक्ट (TDS) करने के लिए स्वतंत्र हैं (आयकर अधिनियम के सेक्शन 194J के अनुसार)।
आप अपने टैक्स ब्रैकेट के आधार पर आयकर विभाग से रिटर्न के लिए पात्र हो सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप अपने फ़्रीलांस काम में मदद करने के लिए किसी को काम पर रखते हैं, तो आपको उनका भुगतान करने से पहले भुगतान से 10% टैक्स घटाना होगा। अपना रिटर्न फ़ाइल करते समय आपको इस राशि को TDS के रूप में काटना होगा।
अगर आपका वार्षिक रेवेन्यू INR 20 लाख तक पहुंच जाता है, तो आपको GST के लिए रजिस्टर करना होगा। अगर आपका वार्षिक रेवेन्यू INR 20,000 से कम है, तो आप GST से छूट प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आपके पास GST नंबर है या आप GST रजिस्ट्रेशन के योग्य हैं, तो आपको अपने क्लाइंट से जीएसटी लेना चाहिए। आपकी फ़्रीलांस सर्विस के आधार पर GST में अंतर हो सकता है, लेकिन ज्यादातर सर्विस पर 18% लगता है।
अगर दिए गए वर्ष में आपकी टैक्स देने की सीमा INR 10,000 से ज्यादा हो जाती है, तो आपको फ़्रीलांसर के तौर पर तिमाही टैक्स देना होगा।
इस तरह के टैक्स को एडवांस टैक्स कहते हैं, क्योंकि इसका भुगतान पहले से ही कर दिया जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत आपको तय किया गया टैक्स का न्यूनतम भाग हर तिमाही खत्म होने से पहले अदा करना होगा।
आयकर विभाग के चालान 280 का इस्तेमाल करके एडवांस टैक्स का भुगतान किया जा सकता है। आपके भुगतान पूरा करने के बाद आपको एक रसीद दी जाती है।
ITR फ़ाइल करते समय इस रसीद को अपने साथ रखें। अगर आप पर एडवांस टैक्स बनता है और आप इसे अदा नहीं करते हैं, तो सेक्शन 234 B और 234 C के तहत आपको दंडित किया जाएगा।
मुझे अपना टैक्स रिटर्न कब फ़ाइल करना चाहिए?
आयकर रिटर्न फ़ाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है (जिस वित्तीय वर्ष के लिए फ़ाइल किया जाना है, उसके खत्म होने पर)। आयकर विभाग के पास इस अंतिम तिथि को बढ़ाने का अधिकार होता है।
क्या होगा अगर आप अंतिम तिथि तक टैक्स जमा नहीं कर पाते या अंतिम तिथि के निकल जाने के बाद टैक्स जमा करना चाहते हैं?
अगर आप अंतिम तिथि तक टैक्स जमा नहीं कर पाते हैं, तब भी आप लेट/बिलेटेड रिटर्न फ़ाइल कर सकते हैं। निर्धारण वर्ष से तीन महीने पहले, लेट आयकर रिटर्न फ़ाइल किया जा सकता है।
आपके पास वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अपना ITR फ़ाइल करने के लिए 31 दिसंबर, 2021 तक का समय है, जिसे 31 मार्च 2022 तक बढ़ाया जा सकता है।
अब जब आपको पता चल चुका है कि आपको कब और कैसे अपना ITR फ़ाइल करना है, तो अपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आप इस प्रक्रिया को अंतिम तिथि से पहले पूरा कर लें।
(आपको कानून नहीं तोड़ना चाहिए, है न?) अपनी आयकर फ़ाइल को साफ़ सुथरा और मजबूत बनाएं।
फ़्रीलांसर के तौर पर, सभी चीजों का रिकॉर्ड बनाएं और अकाउंट बुक तैयार करें। सही तरीका चुनें।
सही आयकर रिटर्न फ़ाइल करें और अगर आपको किसी मदद की ज़रूरत पड़ती है, तो किसी पेशेवर की सलाह लेने से पीछे न रहें।