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Financial Education

क़र्ज़ का जाल कहीं वित्तीय मृत्यु के जाल जैसा तो नहीं? इससे कैसे बचें?

December 21, 2022

वित्तीय संघर्ष में फ़स गए क्या? क्या इससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा? खुद को इस संकट से बाहर निकालने के समाधान पढ़ें।

क़र्ज़ के जाल को समझने के लिए एक छोटी सी कहानी से शुरूआत करते हैं। मान लीजिए आपकी आय 10,000 रुपए है जो आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं है।

अब अगर आप एक फ़ैंसी घड़ी या आईफ़ोन खरीदना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में आप लोन लेने की कोशिश करेंगे।

आप बैंक से 5,000 रुपए महीने की EMI लेते हैं। उसी महीने बाद में आपकी आय के 10,000 रुपए आपको मिलते हैं लेकिन इसकी आधी रकम बैंक लोन को चुकाने में निकल जाती है और बची हुई रकम आपके लिए काफ़ी नहीं है। और इसी कारण आप फ़िर से लोन लेने की कोशिश करते हैं।

इस तरह, यह चक्र शुरू हो जाता है। लोन को समय पर न चुकाया जाए तो यह आप क़र्ज़दार हो जाते हैं।

अगर आप पुराना क़र्ज़ नहीं चुका पाते और नए लोन लेते रहते हैं जो आप इस जाल में फ़ंसते जाएंगे, इसे ही क़र्ज़ का जाल कहते हैं।

बचत और निवेश की रणनीति बनाने के साथ ही आपको वित्तीय तौर पर मज़बूत होने के लिए क़र्ज़ की रणनीति बनाना भी बेहद ज़रूरी है।

क़र्ज़ की रणनीति होने से आपको क़र्ज़ से मुक्ति पाने, अपने वित्त का प्रबंधन करने और वित्तीय तौर पर मज़बूत जीवन जीने में मदद मिलेगी।

आपको क़र्ज़ के इस भयावय जाल में फ़सने की चिंता नहीं करनी होगी। लेकिन पहले, हमें समझना होगा कि क़र्ज़ का जाल क्या होता है।

क़र्ज़ के जाल को समझें

क़र्ज़ का जाल तब बनता है जब आप अपने पिछले क़र्ज़ का भुगतान करने के लिए नए लोन लेते हैं।

जब आप खुद को ऐसी परिस्थिति में ले आते हैं जहां क़र्ज़ अनियंत्रित होकर बढ़ता जाता है और आपकी भुगतान क्षमता से ज़्यादा हो जाता है, तब आप क़र्ज़ के जाल में फंस जाते हैं।

हम इसे कैसे माप सकते हैं? दो तरीके हैं जिनसे क़र्ज़ के जाल को समझा जा सकता है।

 

1.   EMI-वेतन अनुपात : इस उदाहरण को देखते हैं, अगर आपकी ₹10,000 और आपको ₹20,000 वेतन मिलता है तो आपका EMI अनुपात 0.5 है। वित्तीय सलाहकारों के अनुसार यह अनुपात 0.3 से कम होना चाहिए।

2.   लोन-संपत्ति अनुपात : आपका लोन बैलेंस ₹25 लाख है, और अगर आप ₹10 लाख का लोन लेते हैं तो, आपका लोन-संपत्ति का अनुपात 2.5 है। विशेषज्ञ इस अनुपात को 0.5 से कम रखने की सलाह देते हैं।

इस स्थिति में, आपको अपनी आय बढ़ाने के विकल्पों को तलाशना होगा या अपनी लोन की रकम को कम करने की कोशिश करनी होगी जिससे आपकी संपत्ति बढ़ सके। ऐसा न करने पर आप क़र्ज़ के जाल में फंस सकते हैं।

 

क़र्ज़ का जाल कैसे काम करता है?

जब आप साहूकार से लोन लेते हैं, तब दो घटक ताकतवर हो जाते हैं- पहला क़र्ज़ का मूल धन (जो रकम आपको मिलती है), और दूसरा ब्याज (वह रकम जिसे बैंक क़र्ज़ के मूल धन पर वसूलती है)।

जब आपका मूल धन कम होने लगे तब आपका क़र्ज़ अदा करने में आधार मिल सकता है। लेकिन, इसमें एक अड़चन है।

जब आप लगातार लोन का भुगतान कर रहे होते हैं, तब आप मूल धन और ब्याज की क़िस्त जमा करते हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि ज़्यादातर लोन में अमोर्टाइज़ेशन स्ट्रक्चर होता है।

जिसके हिसाब से, लोन जहां से लिया है वहां आपको एक निश्चित क़िस्त के तौर पर क़र्ज़ का भुगतान करते रहना होता है। आप अपने लोन के भुगतान के लिए जो भी क़िस्त जमा करते हैं, उसमें लोन का मूल धन और ब्याज की रकम शामिल होती है।

अगर आप यह क़िस्त जमा नहीं कर पाते हैं, तो आप दायित्व के जाल में फंस जाते हैं। कैसे?

मूल धन घटता नहीं है, और ब्याज बढ़ता जाता है। इससे अपको लोन चुकाने में और भी परेशानी आती है।

 

क़र्ज़ का जाल कैसे बनता है?

यह कारण हैं जो आपको क़र्ज़ के जाल में फंसा सकते हैं। अगर एक भी बिंदु आपकी परिस्थिति से मेल खाता है, तो आपको अपने व्यय पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

  • एक या एक से ज़्यादा बार अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट को खत्म कर दिया हो।

  • आपके निश्चित व्यय आपकी आय के 70% से ज़्यादा हों।

  • आप पैसों की बचत नहीं कर पा रहे हों।

  • आपके ऊपर कई लोन हों।

  • आपको अपनी आय का 50% से ज़्यादा EMI का भुगतान करने के लिए देना पड़ता हो।

  • लोन का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया हो।

1. आपने अपनी क्रेडिट कार्ड लिमिट खत्म कर दी हो : क्रेडिट कार्ड को दाएं बाएं स्वाइप करके कुछ भी खरीदना कितना आसान है। आपको इसके लिए जल्दी चिंता करने की ज़रूरत भी नहीं होती। लेकिन अगर कभी, आप अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट को खत्म कर देते हैं, तब आपको अहसास होता है कि आप वित्तीय तौर पर मज़बूत नहीं हैं और आपको अपने वित्त के बारे में गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है। आप क़र्ज़ के जाल में फंस सकते हैं, इसलिए सचेत रहें।

2. आपकी EMI आपकी आय की 50% से ज़्यादा है : बहुत सारे लोग बेधड़क खर्च करते हैं क्योंकि लोन और वित्तीय सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। वे आकर्षक सेल, भारी डिस्काउंट और ऑफ़र की ओर आकर्षित होते हैं और EMI पर सामान खरीद लेते हैं। अगर आप देखें तो, EMI की रकम बहुत ज़्यादा नहीं लगती लेकिन अगर आप इसको एक साथ पूरा गिनेंगे तो यह रकम वाकई ज़्यादा होती है और इस कारण आपके पास पर्याप्त धन नहीं होता जिससे आप कुछ और खरीद सकें। जब आपकी EMI आपकी आय के 50% के आस पास आ जाए, तो यह सचेत होने का समय है। आपको समझ लेना चाहिए कि आप क़र्ज़ के जाल में फंस सकते हैं।

3आपके निश्चित खर्च आपकी आय के 70% से ज़्यादा हैं : EMI मुख्य वित्तीय ज़िम्मेदारी नहीं होती; और भी ऐसी निश्चित खर्च होते हैं जिनहें हर महीने आपको पूरा करना होता है। इनमें स्कूल फ़ीस, गैस या बिजली का बिल, किराया, वगैरह शामिल हैं। आपके निश्चित खर्च आपकी आमदनी के आधे से ज़्यादा नहीं होने चाहिए। लेकिन अगर यह आपकी आय के 70% से ज़्यादा होते हैं तो यह आपके लिए खतरे का निशान है। इससे आप क़र्ज़ के जाल में फंस सकते हैं। विशेषज्ञ आपको अपने ज़रूरी खर्चों को आय का 30% रखने की सलाह देते हैं।

4. आपके ऊपर कई लोन हैं : अगर आपने कई लोन ले रखे हैं और महीने में अलग अलग बार उनका भुगतान करना पड़ता है तो यह आपके के लिए परेशानी भरा हो सकता है। इससे न केवल आप खुद को थका देते हैं, बल्कि आपके डिफ़ॉल्ट होने का खतरा भी बना रहता है। इसके साथ ही, तमाम लोन का भुगतान करने में आप अच्छा खासा धन गवां देते हैं।

5. आप बचत नहीं कर पा रहे : आप हर महीने बचत नहीं कर पा रहे, इसका बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि आपके क़र्ज़ का चक्र बहुत बड़ा हो। क़र्ज़ और आपके ज़रूरी खर्चों के बीच संतुलन होना चाहिए। क़र्ज़ के जाल में फंसने की यह एक और पहचान है।

6. आपका लोन आवेदन अस्वीकार कर दिया गया : अगर आपका लोन आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है, तो आपके क़र्ज़ के जाल में फंसने का यह सबसे बड़ा संकेत है, और यह सतर्क करता है कि जल्द ही आपको इससे बाहर निकलना चाहिए। जब भी आप लोन के लिए आवेदन करते हैं, वित्तीय संस्थान और बैंक आपका क्रेडिट स्कोर देखते हैं जिससे उन्हें पता चलता है कि आप लोन के योग्य हैं या नहीं। वे आपका CIBIL स्कोर देखते हैं और अगर आप क़र्ज़ में धंसे हैं और अब आपके पास कोई और लोन लेने की वित्तीय क्षमता नहीं बची है, तो आपको आगे कोई लोन नहीं मिलता है। अगर वह आपको लोन देते हैं, तो उसकी ब्याज दर बहुत ज़्यादा होगी और इस कारण आप धीरे धीरे क़र्ज़ के जाल में फंस जाएंगे। ऐसे में इससे बाहर निकलने की उम्मीद बहुत कम या नहीं होती है।

 

क़र्ज़ के जाल से बाहर कैसे निकलें

1.उस समस्या को स्वीकारें जो इसे परिभाषित करती है : अगर आप कभी भी क़र्ज़ तले दब जाते हैं तो, नीचे दिए गए समाधान आपको इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं:

 

इसे बेहतर बनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

 

  • सबसे पहले आपको स्वीकारना होगा कि आप पर क़र्ज़ है।
  • उन कारणों और क्षेत्रों को पहचानें और समझें जो आपको क़र्ज़ के जाल में ढकेल रहे हैं।
  • इन कारणों को नियंत्रित करने का प्लान बनाएं।
  • अपनी ज़रूरतों और खर्च को सुनिश्चित करने के लिए बजट तैयार करें।

 

2. बजट बनाएं और अपनी प्राथमिक ज़रूरतें तय करें : एक बार अपने बजट और क़र्ज़ की स्थिति को गहराई से समझने के बाद आप आसानी से पहचान लेंगे कि क्या अपके लिए बेहद ज़रूरी है, क्या बहुत ज़रूरी नहीं है और कौन सी ज़रूरतें अनावश्यक हैं।

 

  • प्राथमिक्ता की सूची तैयार करें।
  • क़र्ज़ का भुगतान पहली प्राथमिक्ता होनी चाहिए और ऐसा करने से आपकी वित्तीय स्थिति पर हमेशा ही अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
  • अपने अनावश्यक या कम आवश्यक खर्चों पर तब तक रोक लगाएं जब तक आप दोबारा से वित्तीय तौर पर मज़बूत नहीं हो जाते।

 

3. आप क़र्ज़ कम करने के लिए कंसॉलिडेशन लोन ले सकते हैं : अगर आप एक महीने में अलग अलग पर कई तरह के क़र्ज़ का भुगतान कर रहे हैं, तो आप अपने अधिक ब्याज वाले क़र्ज़ को पर्सनल या डेब्ट कंसॉलिडेशन लोन लेकर कम ब्याज वाला बना सकते हैं। एक बार आपको डेब्ट कंसॉलिडेशन लोन मिलने के बाद आपको महीने में सिर्फ़ एक बार ही भुगतान करने की चिंता करनी होगी।

 

ऐसा करने से आपको इन बातों में मदद मिलेगी :

  • ब्याज का पैसा बचा सकेंगे।
  • समय पर EMI भुगतान कर पाएंगे।
  • क़र्ज़ का भुगतान जल्दी होगा, और
  • अपनी वित्तीय स्थिति को दोबारा मज़बूत बना सकेंगे।

 

4. अपने भुगतान को ऑटोमेट करें : क़र्ज़ धारक के तौर पर यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपनी EMI का भुगतान समय पर करें, और सूदखोर को किए वित्तीय वादे पर खरा उतरें। आप अपने भुगतान को समय पर करने के लिए उसे ऑटोमेट कर सकते हैं। ऐसे कई फ़ायदे हैं जिनका इस्तेमाल बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ ECS मैंडेट स्थापति करने से मिलते हैं जिसमें अपने आप भुगतान हो जाता है और इनसे नीचे दिए गए फ़ायदे होते हैं :

  • भुगतान समय पर होता है।
  • क्रेडिट स्कोर बढ़ता है।
  • समय पर भुगतान करने पर आपका क़र्ज़ जल्दी खत्म होता है क्योंकि आपका ब्याज बच जाता है और आपको लेट फ़ीस या पेनालटी नहीं देनी पड़ती।

 

5. और क़र्ज़ लेने से बचें : अगर आपने पहले से ही क़र्ज़ ले रखा है तो उसे पूरी तरह से चुकाने से पहले और कर्ज़ लेने से बचें। आपको अपने क़र्ज़ के अनुपात को 40% से कम रखने का नियम बना लेना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप अपने वित्त को मुसीबत में डाल सकते हैं और फ़िर उसे सेटेल नहीं कर पाएंगे। ज़्यादा क़र्ज़ लेने से बचने पर आप अपना पूरा धन गवां देने वाली वित्तीय मुसीबत से बच सकते हैं।

6. अपनी आय बढ़ाने के साधन तलाशें : क़र्ज़ से बाहर आने का सबसे सही तरीका है अपनी आय बढ़ाना। जितनी ज़्यादा आमदनी होगी, उतनी ज़्यादा वित्तीय सुरक्षा आपको प्राप्त होगी। और इससे आप जल्दी और आसानी से अपने क़र्ज़ का भुगतान कर पाएंगे। आप फ्रीलांस काम कर सकते हैं या अपनी योग्यता, ज्ञान और अनुभव के अनुरूप एक और जॉब तलाश सकते हैं।

7.  महंगा लोन पहले चुकाएं : अगर आप डेब्ट कंसॉलिडेशन नहीं लेंगे तो आपको अपने क़र्ज़ का अलग अलग समय पर भुगतान करना पड़ेगा जिससे आपको समस्या हो सकती है (एक बार में एक ही क़र्ज़ लें)। इसलिए सबसे महंगे लोन को पहले चुकाएं।

8. समय समय पर अपना क्रेडिट स्कोर देखें : अच्छे क़र्ज़ धारक की क्या पहचान होती है? क्रेडिट स्कोर। अगर आपका क्रेडिट स्कोर 750 से ज़्यादा है तो आपको बधाई। आप उन बेहतरीन लोगों में से हैं जिनकी तलाश कर्ज़ दाताओं को होती है। आपको सबसे अच्छी ब्याज दर मिलेगी, सबसे अच्छी लोन टीम मिलेगी और आपका वित्तीय भविष्य बेहतर रहेगा। इसलिए, आपको हमेशा अपने क्रेडिट स्कोर पर ध्यान देना चाहिए। आप अपने लोन अकाउंट पर हर तीन महीने में क्रेडिट रिपोर्ट मांग सकते हैं। आपको देखना चाहिए कि रिकॉर्ड को सही से भरा गया है या नहीं।

9. पेशेवरों की मदद लें : हम समझते हैं कि कभी कभी आपको खुद से क़र्ज़ से बाहर आने में समस्या आती है। लेकिन परेशान न हों, ऐसे पेशेवर मौजूद हैं जो आपको अपना जीवन आसान बनाने में मदद करेंगे। अगर आप खुद को वित्तीय मुसीबत में देखते हैं, तो वित्त विशेषज्ञों की मदद लेना उचित निर्णय होगा। यह वित्त विशेषज्ञ आपकी काउंसलिंग करते हैं, आपको अपने बजट को समझना सिखाते हैं और अधिक खर्च करने से रोकते हैं। ऐसे भी पेशेवर होते हैं जो आपकी तरफ़ से क़र्ज़ दाता से मोल भाव करते हैं जिससे वह लोन के नियम और शर्तों पर बदलाव कर सकें और उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा आपके पक्ष का बनाएं।

 

डेब्ट कंसॉलिडेशन - क़र्ज़ के जाल से खुद को बाहर निकालने का बेहतरीन समाधान!

आपकी वित्तीय स्थिति को ए प्लस बनाए रखने के लिए हम आपको सबसे अच्छे तरीके सुझा रहे हैं। अगर आप ज़्यादा ब्याज वाले कई लोन लेते हैं या अपने क्रेडिट स्कोर को खराब कर देते हैं तो आप धीरे धीरे वित्तीय मुसीबत में फंस सकते हैं।

आपने एक पुरानी कहावत तो सुनी होगी, ‘बहुत जोगी मठ उजाड़? ’  इसी कारण, क़र्ज़ से बाहर आने के लिए कम ब्याज वाला पर्सनल लोन लेना एक बेहतर तरीका है।

पर्सनल लोन आपके सभी बाकी भुगतान को पूरा करने और डेब्ट कंसॉलिडेशन पर्सनल लोन के तौर पर तमाम भुगतान को एक मासिक भुगतान में बदलने में मदद करता है।

 

डेब्ट कंसॉलिडेशन लोन लेना क्यों उचित है?

  • डेब्ट कंसॉलिडेशन लोन से आपकी ब्याज दर कम करता है, मासिक भुगतान को कम करता है, और आपको क़र्ज़ से जल्द छुटकारा दिलाता है।

  • यह आपको ज़्यादा वित्तीय स्वतंत्रता देता है, और आपके मासिक खर्चों का बजट तैयार करने में सुविधा देता है।

  • चूंकि आपको कई लोन EMI की जगह केवल एक मासिक भुगतान करना होता है, तो भुगतान से चूक जाने की संभावना भी कम हो जाती है जिससे आप लेट फ़ीस और ज़्यादा ब्याज दर से बच जाते हैं।

  • इससे समय पर भुगतान सुनिश्चित होता है जिससे आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता है और भविष्य में लोन लेने की आपकी स्थिति बेहतर होती है।

 

 

 

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