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बहुत से लोगों का झुकाव फुल-टाइम फ्रीलांसिंग और FIRE लाइफ स्टाइल की तरफ हो रहा है, पढ़िए कि वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर कैसे बन सकते हैं।
आपने अपने रिटायरमेंट के लिए हर महीने अपनी आय का 10-15% बचत करना, पहले खुद भुगतान करना, अपने टैक्स की योजना बनाने आदि जैसी सभी प्रकार की फाइनेंशियल सलाहें देखी होंगी।
लेकिन जबकि आप एक फ्रीलांसर हैं जिनकी आय में उतार-चढ़ाव रहता है, आमतौर पर ये टिप्स असंबंधित और प्रभावहीन होते हैं, है ना? इनमें से अधिकांश आपके ऊपर लागू नहीं होते हैं।
जैसे, अगर आपकी आय अनियमित है, कभी-कभी इसका 10% निकालना और रिटायरमेंट के लिए अलग करना कठिन होता है।
आप अपने किसी भी क़र्ज़ का भुगतान करने के लिए बड़ी रकम अदा नहीं कर सकते क्योंकि आप नहीं जान सकते कि आपको देर से मिला भुगतान कब आपको नकद रकम के लिए माथे पर शिकन ले आएगा।
हम सभी वित्तीय रूप से आज़ादी पाने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, जब कोई 9-से-5 काम कर रहा होता है तो इसे हासिल करना पहले ही बहुत कठिन होता है, अगर आप एक फ्रीलांसर हैं तो यह मुश्किल हो जाता है।
यही कारण है कि यदि आय की निरन्तरता के बारे में अनिश्चितता है तो आपके लिए अपने फाइनेंस की जिम्मेदारी लेना और भी ज़रूरी हो जाता है।
मुख्य पहलू ये है कि, एक फ्रीलांसर के तौर पर मेहनत की कमाई पर अधिक नियंत्रण रखते हैं और यह तय करते हैं कि यह कहां जाता है और इसके विपरीत कॉर्पोरेशन में क्या होता है।
रिसर्चगेट के अनुसार, दुनिया भर के फ्रीलांसर में 33% भारत में रहते हैं (हर तीसरा फ्रीलांसर), जोकि लगभग 15 करोड़ हैं।
बल्कि, विशेषज्ञ ये मानते हैं कि यह संख्या 2035 तक हर 5 साल में दोगुनी हो जाएगी। ओहो।
अब, जबकि इतने लोगों का झुकाव फ्रीलांसिंग और FIRE (वित्तीय स्वतंतत्रता/जल्दी रिटायरमेंट) लाइफ स्टाइल की तरफ हो रहा है, तो आप अपने फाइनेंस का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं, अपने वित्तीय लक्ष्यों को पा सकते हैं और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र हो सकते हैं?
जार ने आपके लिए आवश्यक सभी वित्तीय टिप्स को शामिल किया है:
फ्रीलांसर अक्सर खुद को कमतर आंकते हैं और जब शुरुआत करते हैं तो बहुत कम क़ीमत लेते हैं । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वो कर्मचारी मानसिकता में उलझ जाते हैं और उन सभी फ़ायदों को देखने में चूक जाते हैं जो उनके पूर्व मालिक दिया करते थे।
आपको स्वयं को अपने मालिक के रूप में दी जाने वाली सुविधाओं के भुगतान करने के लिए अपना शुल्क इतना ऊंचा करना होगा।
अपने न्यूनतम खर्चों को जोड़ें और उनमें बचत, हेल्थ इंश्योरेंस, आपातकालीन ज़रूरतों और रिटायरमेंट फंड, टैक्स के साथ ही साथ उन लंबे आय रहित समय जहां आपको अपनी दरें निर्धारित करने से पहले ग्राहक नहीं मिल सकते हैं, उनको भी शामिल किया जाए।
चाहें आप कभी भी काम करना बंद ना करना चाहें, आपको उस दिन के लिए तैयारी करनी चाहिए जिस दिन आप रेवेन्यू उत्पन्न नहीं करते, या यदि आप 35 साल की उम्र में ही रिटायर होने की चाहत रखते हैं।
आप यह भी जानेंगे कि आपको एक महीने में कम से कम कितना धन प्राप्त करने की ज़रूरत होगी।
शायद आप अपनी मेहनत की कमाई को ग़ैर ज़रूरी सामान पर खर्च कर रहे हैं जिसकी आपको ज़रूरत ही नहीं है। अपने निजी और कॉर्पोरेट खर्चों की जांच करने के लिए और इन चीजों को खत्म करने के लिए आपको समझदारी भरा फैसला लें।
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साथ ही, कभी भी किसी ऐसी चीज के लिए उधार न लें जो उसके लिए निर्धारित क़ीमत से अधिक महंगी हो। बचत को आदत बनाएं
आत्मनिर्भर होने के लिए केवल अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए अधिक पैसा कमाने और नए रेवेन्यू अदा करने की तरफ ध्यान लगाएं।
सभी के लिए बजट बनाना ज़रूरी है, चाहें आप 9-से-5 के कर्मचारी हों या एक फ्रीलांसर।
अपने बार-बार आने वाले खर्चों की एक लिस्ट बनाएं और उनको प्राथमिकता के आधार पर क्रम से रखें।
एक बार अपने मासिक खर्चों को जान जाते हैं, एक बजट बनाएं। अपने सभी खर्चों और बचत पर नज़र रखें।
यहां ट्रिक यह है कि शुरुआत ज़ीरो से करें। केवल ये ना देखें कि आपने हाल के महीनों में औसतन कितना खर्च किया है।
इसके बाद आप किराए, भोजन, पानी और बिजली जैसी बुनियादी ज़रूरतों से शुरू करके इन खर्चों को क्रम से रखते और प्राथमिकता देते हैं।
जैसे ही आपको पुरे महीने का भुगतान मिल जाता है, आप अपनी लिस्ट के सबसे ज़रूरी सामानों पर पैसा खर्च करना शुरू कर दें, और अपने ढंग से काम करें।
मुद्दा ये है कि सभी ज़रूरी खर्चों पर ध्यान दिया जाए, और शेष बचे धन का निवेश किया जाए।
एक फ्रीलांसर के रूप में आपकी आय में उतार-चढ़ाव आ सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आपके खर्चे निश्चित नहीं हैं।
इसलिए, आपातकालीन फंड बनाने के लिए खास जोर नहीं दिया जा सकता है। आपको अपने आपातकालीन फंड में कम से कम छह महीने तक बनाए रखने के लिए समुचित धन की ज़रूरत है।
दुर्घटना, देर से भुगतान या कार खराब हो जाना, आप कभी नहीं जान सकते कि कब आपको आपातकालीन फंड की ज़रूरत होगी। हमेशा असंभावित मार के लिए तैयार रहना चाहिए।
यहां तक कि अपने फुल-टाइम जॉब को छोड़ कर स्वतंत्र रूप से काम करने का फैसला लेने से पहले भी आपके हाथ में ये कोष होना चाहिए।
केवल आपातकालीन फंड के लिए बनाए गए एक अलग अकाउंट में ज़रूरतों और टैक्स देने के बाद अपने बचे हुए सभी धन को इकट्ठा करें।
यह आपको आमदनी नहीं होने वाले समय में खर्चों को सुचारु रूप से करते रहने के समय काम आएगा। आप अपनी वास्तविक आय और न्यूनतम आय के अंतर को अपने मुख्य अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
आमदनी से भरे हुए महीनों में संतुलन बनाए रखें। इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी और आप पूरी तरह से कैश इन्वॉइस पर निर्भर नहीं रहेंगे।
अपनी सारी बचत को मासिक बिल के रूप में सोचें। यदि आप मूल आय को स्थिर बनाने में सफल रहे हैं, तो आपको खुद ही भुगतान करना शुरू कर देना होगा।
इसे नियमित खर्चों के रूप में शामिल करें। तब वो आपको बोझ नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा लगेंगे।
इस तरीके से, धीरे-धीरे निर्माण की शुरुआत करते हुए आप एक देखेंगे कि एक इमारत तैयार होने लगी है। यह बहुत ही रोमांचक हो जाता है!
हम सभी के पास रिटायरमेंट के लिए बचत के अलावा भी विभिन्न प्रकार के वित्तीय लक्ष्य हैं। एक बार जब आपके पास आपातकालीन फंड और रिटायरमेंट फंड होता है, आप अपने अन्य खर्चों के लिए सोच सकते हैं। जैसे- घर या कार खरीदना, घूमने जाना, शिक्षा, मेडिकल आपातकाल, आदि।
इन लघु से माध्यम अवधि के लक्ष्यों को आपके रिटायरमेंट के लिए बचत के साथ या आगे प्रबंधित किया जाना चाहिए।
इनको नियमित रूप से देखते और पुनर्विचार करते रहें। लेकिन दीर्घ या अल्प, आपके पास हमेशा कुछ लक्ष्य होना चाहिए।
उनको पाने और अपने लाइफ स्टाइल के इर्द गिर्द ही उनको बनाए रखने पर नज़र रखें। यह जल्दी से जल्दी फाइनेंशियल तौर पर स्वतंत्र बनने का सबसे बेहतरीन तरीका है।
जैसे कि आप एक संस्थान में फुल-टाइम कार्य नहीं कर रहे हैं, आपको अपना ख्याल रखने की ज़रूरत है। आप अच्छे हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी दोनों प्राप्त करें।
इन दोनों पॉलिसी के लिए प्रीमियम बहुत अधिक नहीं हैं और अगर आप इसे कम उम्र में शुरू करते हैं तो इसको अपने मुताबिक बनवा सकते हैं।
यह एक ऐसी चीज है जिसे आप देश की स्वास्थ्य सेवा की स्थिति को देखते हुए नहीं कर सकते।
उस पॉलिसी की खोज करें और चुनें जो आपके लिए सही हो। यहां मौजूद इंश्योरेंस पॉलिसी हैं जो मृत्यु ही नहीं बल्कि विकलांगता और रोगों का भी इंश्योरेंस करती है। इसलिए लेने से पहले खरीदारी करें।
हालांकि फ्रीलांसिंग फ़ायदेमंद हो सकती है, समय के साथ आपके पैसे का मूल्य गिरेगा। मुद्रास्फीति को जिम्मेदार मानें।
इसलिए आपको अपनी आय को स्थिर बना कर इसको संतुलित करना चाहिए। कैसे? सोने में निवेश करके। यह आपके पोर्टफोलियो को नए आयाम देने और मुद्रा स्फीति से निपटने के सबसे शानदार तरीका होगा।
यहां बहुत सारे अन्य विकल्प भी हैं, जैसे चांदी और प्लेटिनम, लेकिन सबसे पहुंच में आसान विकल्प पर ही स्थिर रहें: सोना। क्योंकि यह साबित किया हुआ तजुर्बा है, यह खरीदने में आसान होने के साथ ही भरोसेमंद भी है। आपको इसको मूर्त रूप में रखने की भी ज़रूरत नहीं है। आप इसको डिजिटल गोल्ड या SGBs के रूप में खरीद सकते हैं।
एक विशिष्ट निवेश वाहन की तुलना में यह अनमोल धातु उथल-पुथल वाले बाज़ार में भी स्थिर रहती है।
हालांकि पहले अपने जोखिम उठान की क्षमता को बनाना महत्वपूर्ण है, जैसे स्टॉक और बॉन्ड में निवेश। उसके बाद सोने में निवेश करें और अपने पैसे को कुशलता से बढ़ाएं। जार एप के माध्यम से निवेश
फ्रीलांस या फुल-टाइम, जब वित्तीय योजना की बात आती है सभी को कुछ संघर्ष करना पड़ता है।
लेकिन ऐसा कोई नहीं है जो इनसे बाहर ना आए। इन टिप्स से, आपके जीवन जीने और वित्तीय स्वतंत्रता पाने में कम से कम आपका वित्त कभी रुकावट नहीं बनना चाहिए।